“खर्च रही हु जिंदगी”

खर्च रही हु जिंदगी तेरी चाहत में 

इंतजार है तेरी आहट में

गुफतगु करुगी तेरी मोहब्बत में

कदम रखुगी तेरी जान पे 

वादा है तेरी रूह से

सिलसिला हे मेरी दिवानगी का

​ ​खर्च रही हु जिंदगी तेरे लिए 

आश हो हर जिस्म की 

वकत हो महेफिल का

नशीली हु तेरी मुसकान की

बसेरा बनाएगी हमारा 

​खर्च रही हु जिंदगी तेरे साथ चलने के लिए 

आएगी तेरी टोली में 

डोली रुकेगी तेरी चौकत पे

जुडुगी तेरे नाम से 

हर कदम पे होगा तेरा ही हक 

खर्चुगी जिंदगी, 

तेरी मौजूदगी के लिए 

तेरे इश्क के सागर में डूबने के लिए 😘 😘 😘 

4 thoughts on ““खर्च रही हु जिंदगी”

  1. Kabhi Kabhi bas ye Khayaal aata hai,
    K kyu hum in shabdo ke jaal me bas ulaj se jaate hai aur na chah te huye bhi ranj o Gahm k saagar me Doob se jaate hai
    Kuch hi log aise hote hai jo in sab ko Bhula kar Aage badh jaate hai…
    Kudos Candy, Beautiful Words, as Always 👌👍☺

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